आज से मानसून सत्र शुरू हो गया है। लेकिन देश की जनता के मन मे वही सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर से जनता के पैसों को शोर शराबे में बर्बाद किया जायगा या उसकी भलाई के लिये भी कुछ काम होगा। बार बार हंगामे के कारण संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद किया जाता है, लेकिन कोई कानून इस बर्बादी को नही रोक सकता। क्या ऐसा कोई कानून या नियम नहीं बन सकता जिसमे संसद में काम ना होने पर नेताओं को चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाये। क्या कोई ऐसा कानून नही बन सकता जिसमे संसद की कार्यवाही ना होने पर सारा खर्च नेताओं और पार्टियों को देना पड़े।जनता के ऊपर नए नए नियम और कानून लगाकर उनको दबाया जाता है। लेकिन नेताओं के ऊपर ऐसे कोई कानून नहीं। जो उनको वादा पूरा न करने पर सज़ा दें। संसद में काम न करने पर जुर्माना लगाए। सड़के टूटी होने पर जेल में डाल दे। सिर्फ जनता को ही हमेशा सज़ा दी जाती है। ऐसा कब तक चलता रहेगा। कब तक जनता जुल्म सहती रहेगी। ये सब रोकने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना होगा।