विवेक शर्मा,गुवाहाटी | विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या धाम में आयोजित तीन दिवसीय देवधानी नृत्य उत्सव का शनिवार को समापन हो गया। तीनों दिनों उत्सव में हिस्सा लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नीलाचल पहाड़ी पर स्थित शक्तिपीठ कामाख्या धाम में अंतिम दन देवधानी नृत्य देखने के लिए हजारों की संख्या श्रद्धालु उपस्थित पहुंचे। कामाख्या धाम में मनसा पूजा के अवसर पर देवधानी उत्सव का आयोजन होता है। देवधानी उत्सव कामाख्या धाम में मनाया जाने वाला दूसरा प्रमुख उत्सव है। गत गुरुवार से आरंभ देवधानी उत्सव का समापन शनिवार को हुआ। उल्लेखनीय है कि देवधानी उत्सव के अवसर पर नृत्य में भाग लेनेवाले देवधा के शरीर में ईश्वरीय शक्ति का संचार होता है। इसके लिए देवधा कठिन साधना करते हैं। पूरे एक महीने की साधना के बाद मनसा पूजा के अवसर पर नृत्य करते हैं। जिस देवधा पर जिस देवी-देवताओं की कृपा आती है वह उसी भाव में नृत्य करता है। नृत्य के समय ढाक, ढोल, नगारा, पेपा आदि वाद्ययंत्रों को बजाया जाता हैं। जिसकी ताल पर देवधा नृत्य करते हुए अद्भुत करतब करते हैं। विभिन्न धारदार अश्त्र-अस्त्र से सज्जित होकर देवधा नृत्य करते हैं। इस अवसर पर मंदिर का फूलों से श्रृंगार किया गया। सभी श्रद्धालु देवधा से आशीर्वाद लेते दिखाई दिए। शनिवार को मानसा पूजा के अंतिम दिन देर रात तक देवधानी नृत्य का आयोजन हुआ। देर रात को घट विर्सजन के सा ही पूजा का समापन हुआ। उल्लेखनीय है कि कामाख्या धाम में देवधानी उत्सव की परंपरा काफी प्राचीन है। इसको देखने के लिए राज्य ही नहीं देश के अन्य हिस्सों से भी लोग आते हैं। पूरे तीन दिनों तक कामाख्या धाम में धार्मिक वातावरण का संचार होता है।