कोरोना जैसे ना दिखने वाले वायरस से ही पूरी दुनियां में खलबली मची हुई है, बड़े से बड़े शक्तिशाली देशों को आज करोना ने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया है, और आज हमारे देश के कई शहरों में दिन में अँधेरा हो गया, लोग कह रहे हैं की कुदरत मनुष्य अपना हिसाब बराबर कर रही है , जिस मनुष्य ने प्रकर्ति को इतना नष्ट कर दिया है की पीने के लिए साफ़ पानी तक नहीं हैं, सांस लेने के लिए शुद्द हवा भी नहीं हैं, मनुष्य जंगलों को काटता जा रहा है, पहाड़ों को तोड़ता जा रहा है, नदियों को सुखाता जा रहा है, समुन्द्र को गन्दा करता जा रहा है,
लेकिन मनुष्य की लालसा ख़तम ही नहीं हो रही है, दुनियां में देश आपस में लड़ने मरने को तैयार हैं, अपने परमाणु बमों में वृद्धि करते ही जा रहे हैं, प्रकृति को पूरा नष्ट करने का इंतजाम कर लिया है ,
लेकिन अब प्रकर्ति ने हिसाब बराबर करने का मन बना लिया है, क्योंकि ये धरती केवल मनुष्य के स्वार्थ के लिए नहीं है बल्कि यहाँ करोड़ों और भी पशु, पक्षी, पेड़ पौधे अपना जीवन जी रहे हैं, ये कभी प्रकर्ति को नष्ट नहीं करते, लेकिन मनुष्य ने तो अब हद ही कर दी है , अपने स्वार्थ के लिए हर तरफ तबाही मचा रखी है,
कोरोना जैसे वायरस से प्रकर्ति मनुष्य को इशारा का रही है लेकिन अब भी लगता है की कोई भी इससे सुधरने वाला नहीं, इसीलिए बदलते मौसम की मार, आंधी, तूफ़ान बार बार आकार चेतावनी दे रहे हैं की अब भी सुधर जाओ नहीं ओत तुम्हारा विनाश निश्चित है,
अगर मनुष्य ने जल, जंगल, जमीन, पहाड़ को बर्बाद करना नहीं छोड़ा तो उसका सम्पूर्ण विनाश निश्चित है|
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