गुड़हल का उपयोग : Gudhal Ka Phool Ke Fayde

गुड़हल के फूल या जवा के फूल तथा इसके वृक्ष के औषधीय गुणों को हम आज के लेख में जानेंगे। यह जानेंगे की है हमारे किन-किन रोगों को नष्ट कर पाने में समर्थ है सक्षम है। शायद ही किसी को ज्ञात होगा की यह गुड़हल का फूल भी इसका वृक्ष भी औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। चलिए जानते हैं इनके कुछ औषधीय उपयोग को।

सबसे पहले आपको बता दें की इंग्लिश में गुडहल के फूल को “Hibiscus Flower” कहते हैं | इसका दूसरा नाम जपापुष्प होता है |

गुड़हल के पत्ते औषधि के रूप में

बालों के लिए उपयोगी गुड़हल का फूल पत्ती सहित

गुड़हल के पत्ते बालों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते है। रूखे लट् दार बाल जो अपनी रौनक बिल्कुल खो चुके हो उसके लिए ।गुड़हल के पत्तों को धोकर साफ करके अच्छी तरह पीस लिया जाए कम पानी के उपयोग के साथ और उसे बालों में अच्छी तरह भीतर तक बाल के जड़ों में तथा पूरे बाल में लगाकर थोड़ी देर लगभग 1 घंटे अथवा की समय की कमी होने पर कम से कम आधा घंटा लगाकर छोड़ दिया जाए। उसके बाद बालों में शैंपू करके धो लिया जाए तो आपके बाल नरम, कोमल, चमकदार, तथा सिल्की हो जाएंगे। पत्तों के छोटे कण व टुकड़े बालों में रह जाए तो भी चिंता का विषय नहीं है। यह कंघी से झड़ जाएंगे।

सूजन के लिए गुड़हल के पत्ते उपयोगी (Gudhal Ki Patti)

किसी प्रकार की सूजन में गुड़हल के पत्तियों को धो कर उसे साफ करके पीस लें और सूजन वाले स्थान पर लेप कर दो इससे फायदा अवश्य होगा।

चेहरे की परेशानियों में गुड़हल का उपयोग (Desi Gudhal Ki Patti)

चेहरे पर मुहासे हो जाने पर किसी प्रकार के धब्बे दिखने पर इसके फूल तथा पत्तियों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाएं। चेहरे के दाग धब्बे तथा कील मुंहासे दूर हो जाएंगे।

मुंह के छालों में भी इसके पत्ते उपयोगी:- (Gudhal Ke Phool Khane Ke Fayde)

मुंह में छाले पर जाना भी छोटी समस्या होने के बावजूद बड़ा कष्टकारी होता है। खाना खाने बोलने आदि कार्य में कष्ट देता है। इसके लिए गुड़हल के सांफ पत्तों को चबाने से भी यह समस्या ठीक हो जाती है।

गुड़हल के फूलों का उपयोग (Gudhal Ka Ful Ke Upyog)

स्त्री रोग के लिए गुड़हल के फूलों का उपयोग

स्त्रीयों के गुप्त रोग (प्रदर रोग) जिसे संकोच वश किसी से न कह पाने कारण सहन करती जाती है।और कमजोर हो जाती हैं इसके लिए गुड़हल की ६-७ कलियों को पीसकर मिश्री मिलाकर खाने से यह समस्या समाप्त हो जाती है। तथा इसके बाद संभव हो तो इसे खाने के बाद देसी गाय का एक गिलास दूध पीना चाहिए। इसका दूसरा उपाय यह है कि इसकी 5-7 कलियों को देसी गाय के घी में तलकर मिश्री के साथ खाने के तत्पश्चात एक ग्लास देसी गाय का दूध पीने से भी यह बीमारी ठीक हो जाती है। तथा इससे हुई शरीर की कमजोरियां भी ठीक हो जाती है।

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