बंदी छोड़ दिवस सिख धर्म में एक विशेष पर्व है, जो हर साल दीवाली के साथ मनाया जाता है। इस दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी, मुग़ल सम्राट जहांगीर की कैद से रिहा होकर 52 अन्य राजाओं को भी आज़ादी दिलाने में सफल हुए थे। गुरु जी ने केवल अपनी आजादी नहीं, बल्कि अन्य कैदियों की रिहाई का भी आग्रह किया, जिससे यह दिन स्वतंत्रता और न्याय का प्रतीक बन गया।
बंदी छोड़ दिवस पर सिख श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास और प्रकाशोत्सव के साथ गुरु जी की इस निस्वार्थ सेवा को याद करते हैं। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में विशेष सजावट और दीयों का प्रकाश इस पर्व को खास बनाता है।