ड्रीम 11 को भेजा गया सबसे बड़ा टैक्स नोटिस

भारतीय सरकार के द्वारा लगातार कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग कंपनी के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करी जा रही है। वहीं अब एक नई जानकारी सामने निकल कर के आ रही है, जो की dream11 प्लेटफार्म से संबंधित है। दरअसल सरकार के द्वारा ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म dream11 की पैरंट कंपनी Dream Sports को जीएसटी चोरी को लेकर के नोटिस दिया गया है। जानकारी के अनुसार गवर्नमेंट के द्वारा dream11 कंपनी को 40000 करोड रुपए का नोटिस दिया गया है, जो की एक बहुत ही बड़ा अमाउंट है। अगर इसका वेरिफिकेशन हो जाता है, तो यह हमारे देश में इनडायरेक्ट टैक्स की‌ हिस्ट्री में अभी तक का सबसे बड़ा दावा होगा।

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Dream 11 GST Notice | Dream 11 Tax Notice

इकोनामिक टाइम के द्वारा जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, उसके अनुसार कंपनी से 25000 करोड रुपए की डिमांड की गई है। इकोनामिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार डायरेक्टरेट जनरल आफ जीएसटी इंटेलिजेंस के द्वारा GST चोरी के मामले में तकरीबन 15 ऑनलाइन रियल मनी कमाने का मौका देने वाली गेमिंग कंपनी को ₹55000 करोड रुपए का जो बकाया टैक्स है, उसे लेकर के नोटिस सेंड किया गया है‌।

गवर्नमेंट के द्वारा यह जो कदम उठाया गया है, इससे ऑनलाइन गेमिंग कंपनी में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि सरकार के द्वारा जो नोटिस दिया गया है, उस पर dream11 के द्वारा मुंबई हाई कोर्ट में एक रिट याचिका भी दायर कर दी गई है जिसमें उन्होंने इस नोटिस को चुनौती दी है।

इन कंपनियों को भी मिला है नोटिस

ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सरकार की ओर से भारी नोटिस मिले हैं। इनमें से कुछ कंपनियों का नाम है हेड डिजिटल वर्क्स और प्ले गेम्स 24*7। अनुमान है कि आने वाले समय में इस प्रकार की कंपनियों को 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के नोटिस मिल सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि, गवर्नमेंट के द्वारा कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगने के पश्चात यह नोटिस सेंड किए गए हैं।

Dream11 से पहले इस कंपनी को मिला था सबसे बड़ा कर नोटिस

Dream11 के अलावा भी इस प्रकार की कंपनी को नोटिस प्राप्त हो चुके हैं। सरकार ने साल 2022 के सितंबर के महीने में 21000 करोड रुपए का टैक्स नोटिस सेंड किया था। यह नोटिस गेम्स क्राफ्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को दिया गया था, जो की बेंगलुरु में स्थित है। हालांकि कर्नाटक के हाई कोर्ट के द्वारा इस नोटिस को खारिज कर दिया गया था, जिसके पश्चात राजस्व डिपार्टमेंट ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और सर्वोच्च न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी थी और मुद्दे की सुनवाई महीने के अंत में या फिर अगले महीने की शुरुआत में करने का डिसीजन लिया था।

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