बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ… भारत में सदियों से महिलाओं को उनका अधिकार से वंचित रखा गया है. सदियो से ही पुरुषो की गुलाम बन कर रही है महिला. जब भी उनके साथ गलत हुआ है तो समाज वालों ने जो गलत किया है उस पर उंगली नहीं उठाते, बाल्की महिलाओं के राहन सहन पर उंगली उठाते हैं. अगर इस परिस्थिती में महिला अगर शिक्षित हो तो वह अपना मुंह तोड़ जवाब दे सकती है. अगर महिला शिक्षित होगी तो अपने साथ होने वाली बुराइयों से वह लड़ सकेगी.
आजकल की बहुत सी महिलाएं हैं जो अपने साथ हुए अपराध को दबाकर रखती हैं. वह पुरूषों के सामने कामजोर पढ़ जाती है. समाजवाले उनका मुंह बंद कर देता है. वह इसलिए नहीं कुछ बोलती ताकि वाह समाज के सामने उनकी बेइज्जती ना हो. वह अपने आदमी और मर्यादा के लिए सब कुछ सहन कर लेती है. और बात का फायदा उठाकर पुरुषों ने बहुत महिलाओं के साथ अत्याचार किया है. समाज वालों के तानों से बचने के लिए अपनी जान दे देती हैं.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी से 2015 में शुरू की थी . क्या अभियान को लागू होते ही समाज वालों ने अपनी बेटियों को जागरूक करने लगे . आजकल महिलाओं के सपनों को भी महत्व दिया जा रहा है क्योंकि अब मेन लाइन शिक्षित हो रही है. पुरूषों से ज्यादा अब महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. महिलाओं की स्थिति ज्यादा अच्छी हो रही है.
सिर्फ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के करण अपनी बेटी को शिक्षित करो, अपनी बेटी को आगे बढ़ाओ, अपनी बेटी के हर कदम पर अपने साथ रखो. समाज वालों को क्या कहना है समाज में नहीं तो कहते रहेंगे. पर आपको सिर्फ अपनी बेटी की बात सुननी है समाज वालों को सिर्फ बोलना आता है, करना कुछ नहीं आता. हर कोई बेटी पर हाथ उठाता है उंगली उठाता है एक बार अपनी बेटी को एक बार अपना बेटा समझ के देखिये वह सब कुछ कर सकती हैं, बस आपका भरोसा उनके लिए काफी होता है.
एक महिला पुरुष से अब काम नहीं होती एक महिला चाहे कुछ भी कर सकती है. ऊपर वाले ने औरतों को यह ताकत दी है जरूरी पड़ने पर वह बाप का बेटा और औलाद का बाप बन सकती है. जब देश की बेटियों को पढ़ाया जाएगा तबहीं न अपना देश विश्व गुरु कहलायेगा. यदि हम अपने देश के समाज प्रगति को बढ़ाना चाहते हैं तो हमें अपने देश की बेटियों को बचा कर पढ़ाना होगा.
अपनी बेटी हो तो बेच खाओ दूसरो की बेटी हो तो नोच खाओ ऐसी सोच रखने वाले डूब के मर जाओ. मां के गर्व से बेटी तो सुरक्षित आएगी पर यहां समाज में तुम्हें यहां सुरक्षा मिल जाएगी. यहां घूम रहे हैं चारों ओर भेदिये और दरिंदे ना जाने कब तक बैठे हैं तक लगाए चौराहे पर कैसे करूं तेरी सुरक्षा कब तक सीपत कर तुझे अपनी चादर से छुपाऊँ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन दरिंदों को कोई नोच के खाओ . जन्म लेने से पहले ही बेटियों को मार दिया जाता है, उनका जीवन उनका अधिकार सब छीन लिया जाता है और कोई उंगली उठाता है. बेटी है इतने जोर से ना हंसो कि बाहर आवाज जाए बेटी है. ऐसे कपडे ना पहनो बेटी है ऐसी, आवाज ऊंची ना करो बेटी है, बहार ना जाओ बेटी है, ज्यादा जुबान ना लगाओ बेटी है, ज्यादा ना पढ़ाओ बेटी है.
अपने हाथों में दबाओ वरना हाथ से निकल जाएगी ऐसे शब्द सिर्फ लड़कियों के लिए ही क्यों बोला जाता है, क्यों लड़की होना कोई बात है क्यों लड़की जोर से ना बोले क्यों ना हंसी क्यों ना जुबान लड़े क्यों ना ज्यादा पढ़ी. बस इसलिए क्योंकि वाह लड़की है. ऐसी सोच विचार रखने वाले कब तक ऐसी सोच रखेंगे. अब तो बदलो दुनिया कहां से कहां चली गई है पर उनकी सोच अभी भी नीच हरकतों वाली है एक बात अच्छे से समझ लो बेटी बाहर नहीं अधिकार है शिक्षा उसका हथियार है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.
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